नवरात्रि पर करें श्री दुर्गा परमेश्वरी मंदिर के दर्शन, मां की बरसेगी कृपा


 







मंगलूरू



  •  नवरात्रि पर करें श्री दुर्गा परमेश्वरी मंदिर के दर्शन, मां की बरसेगी कृपा













 दुर्गा परमेश्वरी मंदिर की मान्यताओं के अनुसार यहां सदियों से अग्निकेलि नाम की एक अद्भुत परंपरा चली आ रही है, जिसमें लोग अपनी जान की परवाह किए बिना एक-दूसरे पर आग फेंकते हैं.




पूरे साल मां दुर्गा के भक्तों की भीड़ लगी रहती है



श्री दुर्गा परमेश्वरी मंदिर, मंगलूरू के कैथल कस्बे में स्थित है. मंगलूरू से इसकी दूरी सिर्फ 26 किलोमीटर है. कर्नाटक राज्य में आने वाला यह तीर्थ स्थल नंदिनी नदी के किनारे पर बसा हुआ है. वैसे तो यहां पूरे साल मां दुर्गा के भक्तों की भीड़ लगी रहती है लेकिन मान्यता है कि शारदीय नवरात्रि के समय इस मंदिर में आकर मां के दर्शन करने से हर मनोकामना पूरी होती है. इस मंदिर के आसपास का पूरा इलाका प्राकृतिक सौंदर्यता से भरपूर है. 

नवरात्रि के दौरान यहां भक्तों की संख्या अन्य दिनों की अपेक्षा बहुत अधिक रहती है. बारिश के दिनों में नंदिनी नदी का जल स्तर बढ़ने के कारण, यहां की प्राकृतिक सौंदर्यता और अधिक सुंदर हो जाती है. आस्था और अध्यात्म से सराबोर इस मंदिर में आने के बाद भक्त आत्मिक शांति अनुभव करते हैं.

एक-दूसरे पर आग फेंकते हैं

यहां की मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर में सदियों से अग्निकेलि नाम की एक अद्भुत परंपरा चली आ रही है, जिसमें लोग अपनी जान की परवाह किए बिना एक-दूसरे पर आग फेंकते हैं. ये परंपरा यहां केवल एक दिन हीं बल्कि पूरे 8 दिनों तक उत्सव के तौर पर मनाई जाती है. ये अजीबो-गरीब पंरपरा दो गांव आतुर और कलत्तुर के लोगों के बीच में होती है. अनोखी सी इस परंपरा का यह उत्सव शुरू करने से पहले देवी मां की शोभा यात्रा निकाली जाती है और उसके उपरांत तालाब में डुबकी लगाई जाती है. बता दें कि तालाब में डुबकी लगाने के बाद दोनों गांवों के लोगों के बीच अलग-अलग दल बना लिए जाते हैं.

ये परंपरा व्यक्ति के दुखों को दूर करती है मशालों को फेंका जाता है. मशालों को फेंकने का यह सिलसिला करीब 15 मिनट तक चलता है. इस परंपरा के तहत एक शख्स सिर्फ पांच बार ही जलती मशाल फेंक सकता है. अग्निकेली की नामक की इस परंपरा को लेकर लोगों का कहना है कि ये परंपरा व्यक्ति के दुखों को दूर करने में मदद करती है. इससे व्‍यक्ति की आर्थिक व शारीरिक रूप से संबंधित हर तकलीफ दूर हो जाती है. इस मंदिर का अपना रंगमंच केंद्र हैं जहां प्रसिद्ध यक्षगान किया जाता है. इसमें मां श्री दुर्गा परमेश्वरी देवी के द्वारा दानवों के संहार और उनके प्रेरक विचारों से रूबरू करवाया जाता है. संगीत, नृत्य, मैकअप से सजे कलाकार सामुहिक रूप से इस रंगमंच पर अपनी नाट्य कला को प्रस्तुत करते हैं.