पर्यावरण संरक्षण के लिए उमा व्यास ने किया नवाचार मिट्टी की गणेश प्रतिमा विसर्जन के बाद उगेंगे पौधे


जयपुर@ - प्रकृति एवं संस्कृति के संरक्षण व संवर्धन को समर्पित संगठन श्री कल्पतरु संस्थान की सक्रिय कार्यकर्ता उमा व्यास ने ग्रीन गणेश उत्सव अभियान के तहत अद्भुत नवाचार किया है। नदियों, सरोवरों और पोखरों के पानी को प्रदूषित होने से बचाने के लिए मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमा स्थापित किए जाने का संदेश दिया जा रहा है। इतना ही नहीं उन्होंने मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमाओं के बीच अनेक स्थानीय प्रजातियों के पौधों के बीज रखे हैं । जो विसर्जन के बाद कुछ ही दिनों में पौधों में परिवर्तित हो जाएंगे। 

उमा व्यास ने बताया कि कुछ दिनों से संस्थान के अनेक वॉलिंटियर्स को बीज रखकर गणेश प्रतिमा बनाने का विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा था। तालाब से पवित्र मिट्टी लाकर 1008 गणेश प्रतिमाएं तैयार की गई है । जिन्हें शहर वासियों को निशुल्क भेंट किया जा रहा है। इस कार्य में उषा देवी, विनीत, वंशिका, संतोष, पूजा, अशोक और विवेन सहित सैकड़ो कार्यकर्ता दिन-रात जुटे हुए हैं। 

उन्होंने शहर वासियों को गमलों में इन गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन किस तरह किया जाए, इसकी भी जानकारी दी। बच्चों ने इसमें काफी रुचि दिखाई और मिट्टी की गणेश प्रतिमा स्थापित किए जाने का संकल्प लिया।

 इस नवाचार के बारे में जानकारी देते हुए उमा व्यास ने बताया कि गणपति की मूर्ति पीओपी (प्लास्टर ऑफ़ पेरिस) से और पंडाल सजावट की चीजें थर्मोकोल, प्लास्टिक और अन्य हानिकारक पदार्थों से बनी होती है, जो कि प्रकृति के लिए बहुत नुकसानदायक है। ऐसे में क्यों न हम कोई ऐसा तरीका अपनाए जिससे त्यौहार भी अच्छे मन जाए और प्रकृति की भी रक्षा हो जाए।

इसलिए ज़रूरी है कि हम प्रकृति के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी समझे और अपने त्यौहारों को पारम्परिक तरीकों से मनाएं। हम ऐसे कदम उठाए जिससे कि हमारी श्रद्धा और आस्था का भी मान रहे और साथ ही, हमारी प्रकृति भी संरक्षित हो।

बाज़ारों में भले ही आज इस गणपति उत्सव को मनाने के लिए हज़ारों तरीके उपलब्ध हैं, लेकिन इस त्यौहार को आप आसानी से घर में मौजूद पारम्परिक चीज़ों से भी मना सकते हैं। यह पर्यावरण के लिए हानिकारक भी नहीं है। 

उन्होंने कहा कि शहर वासियों के लिए गमलों या पार्कों में विसर्जित करने के लिए तुलसी और फूलों के बीजों से गणेश प्रतिमा तैयार की गई है। जलाशय में विसर्जित करने वालों के लिए कमल के बीजों का उपयोग किया गया है। उमा व्यास का कहना है कि उत्सव खत्म होने के बाद इस मूर्ति को आप गमले या गद्दे में लगा दे, मूर्ति के बीज पौधा बनकर आपके घर की हरियाली बढ़ाएंगे। उमा ने कहा कि मिट्टी के स्थान पर गाय के गोबर से भी प्रतिमा बनाकर विसर्जित की जा सकती है।

उमा व्यास ने बताया कि गणेश प्रतिमा के अलावा उत्सव में पंडाल और फिर पूजा-विधि के लिए भी ख़ास इंतजाम किए जाते हैं। लेकिन इस बार आप अपने गणपति उत्सव को पूरी तरह से इको-फ्रेंडली बना सकते हैं। रेग्युलर अगरबत्ती इस्तेमाल करने की बजाय आप फूलों को प्रोसेस करके बनाई गई ऑर्गेनिक अगरबत्ती इस्तेमाल करें। साथ ही, प्लास्टिक की सजावट की जगह बायोडिग्रेडेबल चीज़ों से सजावट करें। पूजा में चढ़ाए गए फूलों को यूँ ही कहीं फेंकने की बजाय आप उन्हें खाद बनाने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।

गौरतलब है कि अध्यापिका से पुलिस उप निरीक्षक बनी सामाजिक कार्यकर्ता उमा व्यास ने हाल ही में श्री कल्पतरु संस्थान की ओर से विदेश की धरती पर भारत का नेतृत्व किया था। श्री कल्पतरु संस्थान के 30 वर्षों के इतिहास में ऐसा करने वाली वह पहले वॉलिंटियर है।