टेलीफोन, पानी व बिजली के बिल हो माफ,इन लोगों की स्थिति बंद से बदतर हो जाएगी- विशिष्ट पत्रकार दिनेश कुमार कुमावत

सुनो सरकार, इनकी भी गुहार...


टेलीफोन, पानी व बिजली के बिल हो माफ...


प्रत्येक राशन कार्ड धारी को मिले राशन का गेहूं...


पत्रकार संस्था चोमू  राजस्थान के संरक्षक व विशिष्ट पत्रकार दिनेश कुमार कुमावत ने  कोरोना वायरस को लेकर संदेश दिया कि कोविड-19 वैश्विक महामारी ने पूरे विश्व को झकझोर कर रख दिया है।  बड़े-बड़े विकसित देश भी इस महामारी के आगे घुटने टेकते नजर आ रहे हैं। केंद्र व राज्य सरकार समस्या से निपटने के हर संभव प्रयास कर रही है। कई राज्यों के आंकड़े चिंताजनक स्थिति में पहुंच गए हैं । राज्य में भी कोरोना के मरीजों का आंकड़ा थमने का नाम नहीं ले रहा है। लाॅक डाउन के चलते गरीब,असहाय व जरूरतमंदों के लिए जनप्रतिनिधि, समाजसेवी, समाज सेवी संस्थाएं, भामाशाह व प्रशासन खुलकर मदद करने में लगे हैं। चाहे वह मास्क या सैनिटाइजर उपलब्ध करवाने की हो या फिर राशन सामग्री या खाने के पैकेट उपलब्ध कराने की , कमोबेश सामर्थ्य अनुसार आमजन भी सहयोग कर रहे हैं। कोरोना योद्धा के रूप में नर्सिंग कर्मी व चिकित्सक अपनी जान जोखिम में रखकर मरीजों के इलाज करने में जुटे हुए हैं।


इसीलिए तो भारत को अनेकता में एकता वाला देश कहा जाता है।  जहां गरीब, असहाय व जरूरतमंदों के सहयोग के लिए बहुत कुछ किया जा रहा है वहीं एक वर्ग ऐसा भी है जो हम सबकी आंखों के सामने होते हुए भी हम उसे नजर अंदाज कर रहे हैं। ये वो वर्ग है जो मजदूर नहीं है लेकिन आमदनी में मजदूर से ऊपर भी नहीं है, इसे निम्न मध्यम वर्ग भी कहा जा सकता है। जिनके नाम ना ही बीपीएल सूची में मिलेंगे और ना ही खाद्य सुरक्षा सूची में । ये वो लोग हैं जो छोटी बड़ी दुकानों के जरिए अपना जीविकोपार्जन करते हैं। ये है निजी स्कूल, कॉलेजों व कोचिंग संस्थानों के अध्यापक, प्राइवेट कर्मचारी,फोटोग्राफर, ई-मित्र संचालक, शोरूमों में काम करने वाले सेल्समैन, फैंसी स्टोर, चाय पान की दुकान, परचून की दुकानों में काम करने वाले, पत्रकार, ड्राइवर, कंडक्टर ,सेलून, ब्यूटी पार्लर व सिलाई सिखाने वाली महिलाएं, टेलर, मोबाइल शॉप  जैसे छोटे दुकानदार जो ना ही निर्माण श्रमिकों की श्रेणी में आते हैं और ना ही इन लोगों के नाम खाद्य सुरक्षा व बीपीएल सूची में जुड़े हुए हैं ।


राज्य में ऐसे भी लाखों परिवार हैं जो किराए पर कमरे या 1- 2 दुकाने किराए पर देकर आजीविका चला रहे हैं। लॉक डाउन के चलते इनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। ये वो लोग हैं जो छोटे-छोटे लोन लेकर अपनी दुकानें चला रहे हैं । इन लोगों को समाज में प्रतिष्ठा भी बनाए रखना जरूरी होता है। अल्प आय में ही इन्हें सारी जिम्मेदारियां निभानी पड़ती है। इनकी आर्थिक स्थिति को देखते हुए सरकार को राशन कार्ड धारी हर परिवार को निर्धारित मात्रा में राशन सामग्री देनी चाहिए, साथ ही लॉक डाउन पीरियड  के बिजली, पानी व टेलीफोन के बिल माफ करने चाहिए। ऐसा नहीं हुआ तो इन लोगों की स्थिति बद से बदतर हो जाएगी और देश का एक बहु संख्यक वर्ग आर्थिक संकट के जाल में फंस जाएगा । जिसके परिणाम भी भविष्य में बहुत घातक हो सकते हैं। गहलोत सरकार को इस और ध्यान देना चाहिए।