जयपुर (स्मार्ट समाचार) कोरोना वैश्विक महामारी के चलते पूरे भारत में पी पी किट की कमी की खबरों के बीच एक राहत की किरण सामने आयी है। जयपुर स्थित कम्पनी जगन्नाथ पोलिमेर्स प्राइवेट लिमिटेड ने स्वदेसी तकनीक यूक्त पी पी ई किट का विकास किया है। कम्पनी ने इस तकनीक से किट का निर्माण शुरू कर दिया है। और लगभग 1000 किट टेस्टिंग के लिए बाज़ार में उतारे हैं। अब कम्पनी ने यह किट साउथ इंडियन टेक्स्टायल रिसर्च असोसीएशन, कोयंबटूर और डी आर डी ओ, ग्वालियर को भेजकर लेवल 3 एक्षपोज़र के लिए टेस्टिंग के लिए भेज दी है। जिसके पश्चात इसे कोरोना के इलाज के लिए डॉक्टरों के पहनने के लिए उपयोग में लिया जाएगा। डायरेक्टर पूरणमल अग्रवाल ने बताया कि कम्पनी प्लास्टिक से बने हुए उत्पादों को बनाने में पिछले 25 वर्षों से कार्य कर रही है.जैसे ही पता चला कि देश में पी पी ई किट की कमी है। कम्पनी ने इसके विकास में कार्य किया। हमने हमारे प्लास्टिक के अनुभव को उपयोग कर एवं डॉक्टर योगेश यादव के परामर्श से इसका प्रोटोटायप बनाया। हमारी टीम ने रात दिन मेहनत करके मात्र 10 दिनो में इसे प्रोडक्शन के लिए तैयार कर लिया।
किट मात्र 200 रुपए में उपलब्ध होगी। यह किट मात्र 200 रुपए में उपलब्ध होगी जबकि बाज़ार में ये 400-1000 रुपए तक मिलती है। वाणिज्यिक डायरेक्टर मोहित अग्रवाल के अनुसार इस कीमत पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सफाई कर्मियों को भी इस किट को दिया जा सकता है ताकि ज्यादा से ज्यादा कोरोना योद्धा अपना बचाव कर सके|
यह है विशेषता:
सी ई ओ पीयूष सिंघल ने बताया की कम्पनी पहले से ही अपने बेहतरीन प्लास्टिक उत्पादों में अग्रणी रही है। इस किट को इम्पोर्टेड किट से अलग तकनीक से बनाया गया है। उनके अनुसार तीन लेयर की प्लास्टिक फ़िल्म को विशेष तरीक़े से बदलकर करोना वायरस से बचने के लिए कारगर बनाया गया है। यह तकनीक पहले से चल रहे नोन वोवेन पदार्थ से बेहतर साबित होगी। इस उत्पाद को बनाने के लिए फ़ैक्टरी में बैक्टीरीया मुक्त विशेष स्थान बनाया गया है।
चौमू पुलिस थाना एवं राजकीय अस्पतालों में इसे मुफ्त देगे
'लाभ बाद में मानवता और देश हित पहले' के ध्येय को ध्यान में रखते हुए मार्केटिंग डायरेक्टर मुकुल अग्रवाल ने कोरोना योद्धाओं की मदद करने के लिए चौमू पुलिस थाना एवं राजकीय अस्पतालों में इसे मुफ्त देने की घोषणा की है।उन्होंने बताया की कंपनी की युवा टीम माननीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से प्रेरित है और स्वैच्छिक सामाजिक ज़िम्मेदारी के तहत इस कार्य को करेगी।